सोमवार, 13 जून 2011

शाम, तन्हाई और कुछ ख्याल............




है तूफ़ान सा सीने में क्यों
सासें मेरी क्यों जल रही
धड़कन पड़ी चुपचाप क्यों
किसकी कमी है ख़ल रही

है क्या चुभन कैसी जलन
क्या ढूंढ़ता आवारा मन
बंजर लगे सब कुछ मुझे
आख़िर कहाँ मेरा चमन

एक जंग सी अन्दर छिड़ी
जाऊँ किधर सूझे नहीं
मंजिले धुधली पड़ी
और रास्तों का पता नहीं

है इश्क़ की मजबूरियाँ ,
और बीच की ये दूरियाँ
अब कुछ सहा जाता नहीं ,
मुझसे रहा जाता नहीं

क्यों ज़िन्दगी इतनी खले
और हल नहीं कुछ पास है
मिली धरती मुझे
पास अब ............आकाश है

खुदा! क्यों छीन लेता
है नहीं सांसें मेरी
हर पल मुझे क्यों मारता
मर्जी बता .......... मुझको तेरी ..........

मुझको बता .........मेरे खुदा ...........
मेरे खुदा ....मुझको बता............
अब तो बता मुझको बता
कुछ तो बता मेरे खुदा ..............

शुक्रवार, 10 जून 2011

श्रीमान श्री दूबे जी के निधन पर ...............

क्या कहूँ .....
शब्दों ने पानी के अलावे और कोई रास्ता लेने से मना कर दिया है,
मगर फिर भी ये कोशिश है
कांपती इन ऊँगलियों से ही
लिखूँ कुछ वेदना मन की
लिखूँ आवाज धड़कन की

मुझे है याद अब तक वो
केश जो मुझको
अक्सर रुई के फाहों से उड़ते बादलों के भाई लगते थे
और वो शक्श जो धोती और कुर्ते में
था लगता ज्ञान का सोता

मुझे है याद की हर कक्षा में मुझे नींद आती थी
मगर वो क्लास बस उनका ही था
जहाँ सब सोते रहते थे
मगर झपकती थी नहीं पलकें मेरी
हाँ सच में .........
मैं जो एक अदना सा बच्चा
क्लास में भी रँक की सम्भावना न थी
उसे उनकी ही कक्षा में रूचि जगी थी

वो आदर्श थे मेरे
गुरुदेव थे मेरे
मेरी प्रेरणा थे वो
नेतरहाट उनके नाम से सार्थक सा था

भले वो देह का कपड़ा
बदल डाला है निश्चित ने
मगर वो तस्वीर उनकी आज भी जब ध्यान धरता हूँ
नया उत्साह आता है
नया विश्वास जगता है

है देवता से प्रार्थना की शांति मिले उनको
जिस पे पूरा हक है उनका
वो परमार्थ हासिल हो ....................

miss you srimaan jee