har aadmi har baat pe naraj dikhta hai
kya kal raha tha wo aur kya aaj dikhta hai
fursat kise baithe zara, ek saans hi lele
har shakhs bebas aur badhawash dikhta hai
hai lagta pak gaya shayad, chalo ab tod late hain
aakash ki tehni pe latka ek chand dikhta hai
jane ki kya pakta hai us chulhe pe aajkal
angithi mein kisi ka sar, kisi ka haath dikhta hai
kaise thi wo hawa ki jo sabko bujha gayi
ab diye bhar mein hi mujhko aag dikhta hai
jo baarud hai bhitar, use ab aag laga de
chalo 'Pandit' usi taraf jahan chirag dikhta hai
शुक्रवार, 18 दिसंबर 2009
रविवार, 26 अप्रैल 2009
अपनी ऊँगली को होंठों पर देखो तुम यू फेरा न करो ..!!!!!!111
अपनी ऊँगली को होंठों पर देखो तुम यू फेरा न करो
कभी देख ये धड़कन थमती है , कभी साँस मेरी रुक जाती है
सारी दुनिया दुश्मन मेरी भागा फिरता हूँ जान लिए
अब तुम भी मेरी जान की दुश्मन दुनिया की तरह न बन जाओ
अपनी ऊँगली को होंठों पर देखो तुम यू फेरा न करो .!!!!!!!!
कभी देख ये धड़कन थमती है , कभी साँस मेरी रुक जाती है
सारी दुनिया दुश्मन मेरी भागा फिरता हूँ जान लिए
अब तुम भी मेरी जान की दुश्मन दुनिया की तरह न बन जाओ
अपनी ऊँगली को होंठों पर देखो तुम यू फेरा न करो .!!!!!!!!
ये मेरा हाल जैसा है क्या तेरा हाल वैसा है...!!!!!!!!!!!
कभी ये सोचता हूँ मैं कि तेरा हाल कैसा है
तेरी जुल्फों के काले बादलों का जाल कैसा है
मैं रोकर मुस्कुराता हूँ और ये गुनगुनाता हूँ
ये मेरा साल जैसा है क्या तेरा साल वैसा है
तुझे देखे जभी नज़रे बड़ी ये मुस्कुराती हैं
मेरे पलकों के पर्दों पर तू पूरी रात आती है
मैं पूरी रात अक्सर जाग आँखें बंद रखता हूँ
जो इनको खोल देता हूँ तू मुझसे रूठ जाती है
मेरे दिल में तेरी याद अक्सर जाग जाती है
तेरी यादें कई चिंगारियाँ दिल में जलाती हैं
मेरी चलती हुई साँसों से फिर अग्नि भड़कती है
बड़ा आँसू बहाता हूँ मगर ये बुझ न पाती है
कभी ये सोचता हूँ मैं कि तेरा हाल कैसा है
तेरी जुल्फों के काले बादलों का जाल कैसा है
मैं रोकर मुस्कुराता हूँ और ये गुनगुनाता हूँ
ये मेरा हाल जैसा है क्या तेरा हाल वैसा है ....!!!!!!!!!!
तेरी जुल्फों के काले बादलों का जाल कैसा है
मैं रोकर मुस्कुराता हूँ और ये गुनगुनाता हूँ
ये मेरा साल जैसा है क्या तेरा साल वैसा है
तुझे देखे जभी नज़रे बड़ी ये मुस्कुराती हैं
मेरे पलकों के पर्दों पर तू पूरी रात आती है
मैं पूरी रात अक्सर जाग आँखें बंद रखता हूँ
जो इनको खोल देता हूँ तू मुझसे रूठ जाती है
मेरे दिल में तेरी याद अक्सर जाग जाती है
तेरी यादें कई चिंगारियाँ दिल में जलाती हैं
मेरी चलती हुई साँसों से फिर अग्नि भड़कती है
बड़ा आँसू बहाता हूँ मगर ये बुझ न पाती है
कभी ये सोचता हूँ मैं कि तेरा हाल कैसा है
तेरी जुल्फों के काले बादलों का जाल कैसा है
मैं रोकर मुस्कुराता हूँ और ये गुनगुनाता हूँ
ये मेरा हाल जैसा है क्या तेरा हाल वैसा है ....!!!!!!!!!!
माना की है मेरी खता....!!!!!!!!!!!
माना कि है मेरी खता
लेकिन तुझे है क्या पता
लेकिन तुझे है क्या पता
कि जब कोई नजर तुझे
ताकती हैं प्यार से
दिल पर मेरे गिरते है
लाल दहकते अंगार से
और मेरी साँस जैसे
रोक देता कोई है
देख मेरी आँखों को
रात भर ये रोई हैं
माफ़ कर जो हो सके
लेकिन बता मैं क्या करूँ
तुझको न कोई छीन ले
दिन रात मैं डरता रहूँ
जी चाहता है आज मेरा
तुझमें समां सोता रहूँ
गोद में सर रख के तेरे
देर तक रोता रहूँ
गुरुवार, 2 अप्रैल 2009
उसने देखा भी मुझको और पहचाना भी नही !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
मैं जिनकी याद में दुनिया भुलाये बैठा था
ख़ुद को अंधेरो में छुपाये बैठा था
वो जो मुझको कभी जान अपना कहती थी
वो जो प्यार में मेरे ही गुम सी रहती थी
मैंने जिसके लिए ज़माने से बगावत कर दी
ज़माने के सारे उसूलों की खिलाफत कर दी
जो साँस थी मेरी धड़कनों का नगमा थी
जो मेरे जीस्त का मकसद ,जो मेरी दुनिया थी
मेरे दिल में बसा था एक बस वो अक्श जिसका
मेरी आंखों में छपा था नैन नक्श जिसका
मैं जिसकी गलियों में खुदको तबाह कर बैठा
सभी को छोड़ कर बस उसकी चाह कर बैठा
उसको मैंने आज रास्ते पर आते देखा
मेरी तरफ़ कदमो को बढ़ते देखा
वो मेरे पास से गुजरी तो फिर हसरत जागी
उसकी नजरों में ख़ुद को देखने की चाहत जागी
वो फिर पास से गुजरी और नजरें भी मिली
मेरी वफाओ से सींची कलि सब खिलने लगी
मेरी वफ़ा की मजार लाँघ वो आगे निकल गई
उसने देखा भी मुझको और पहचाना भी नहीं
उसने देखा भी मुझको और पहचाना भी नहीं...........!!!!!!!!!!!!!!!!
ख़ुद को अंधेरो में छुपाये बैठा था
वो जो मुझको कभी जान अपना कहती थी
वो जो प्यार में मेरे ही गुम सी रहती थी
मैंने जिसके लिए ज़माने से बगावत कर दी
ज़माने के सारे उसूलों की खिलाफत कर दी
जो साँस थी मेरी धड़कनों का नगमा थी
जो मेरे जीस्त का मकसद ,जो मेरी दुनिया थी
मेरे दिल में बसा था एक बस वो अक्श जिसका
मेरी आंखों में छपा था नैन नक्श जिसका
मैं जिसकी गलियों में खुदको तबाह कर बैठा
सभी को छोड़ कर बस उसकी चाह कर बैठा
उसको मैंने आज रास्ते पर आते देखा
मेरी तरफ़ कदमो को बढ़ते देखा
वो मेरे पास से गुजरी तो फिर हसरत जागी
उसकी नजरों में ख़ुद को देखने की चाहत जागी
वो फिर पास से गुजरी और नजरें भी मिली
मेरी वफाओ से सींची कलि सब खिलने लगी
मेरी वफ़ा की मजार लाँघ वो आगे निकल गई
उसने देखा भी मुझको और पहचाना भी नहीं
उसने देखा भी मुझको और पहचाना भी नहीं...........!!!!!!!!!!!!!!!!
आज ज़रा रोने दो मुझको ....!!!!!!!!
आज भरो बाहों में मुझको
आज जरा सोने दो मुझको
बर्फ बहुत जम गया है भीतर
आज जरा रोने दो मुझको
सब कुछ तो खोकर बैठा हूँ
ख़ुद को खो लेने दो मुझको
सिसक सिसक पड़ा रहने दो
घर के किसी कोने में मुझको
नींदों में सपनो में अपने
कुछ देर तो खुश होने दो मुझको
आज भरो बाहों में मुझको
आज जरा सोने दो मुझको
बर्फ बहुत जम गया है भीतर
आज जरा रोने दो मुझको
आज जरा सोने दो मुझको
बर्फ बहुत जम गया है भीतर
आज जरा रोने दो मुझको
सब कुछ तो खोकर बैठा हूँ
ख़ुद को खो लेने दो मुझको
सिसक सिसक पड़ा रहने दो
घर के किसी कोने में मुझको
नींदों में सपनो में अपने
कुछ देर तो खुश होने दो मुझको
आज भरो बाहों में मुझको
आज जरा सोने दो मुझको
बर्फ बहुत जम गया है भीतर
आज जरा रोने दो मुझको
सखी ये दुर्लभ गान तुम्हारा
ठीक भोर में जब गंगा के
जल में लाली घुलती जाए
और दूर विहगों की टोली
आसमान में पंख फैलाये
गीत मधुर जीवन के गाए
कोई भींगा सा हाथ तभी
मन्दिर की घंटी छू जाए
या गोधूली हो , यमुना तट हो
सूरज पानी पर उतराए
और कृष्ण की बंसी सुनकर
राधा पायल छनकाती आए
कुछ वैसा ही लहर उठा है
जाने ये सुर कहाँ सजा है ?
मैंने पूछा इस वायु से
री पगली तू क्यों इतराई
किसके उच्छ्वास की लहरें
मेरे कानो तक ले आई
वो हँसती आगे चलती थी
पीछे जब मैं उसके आया
देखा यहाँ तुम्ही बैठी हो
अच्छा क्या तुमने गाया ?
सखी आज तुम गाती जाओ
खिल खिल उठा है प्राण हमारा
मंत्रमुग्ध पूरी धरती है
सुनकर दुर्लभ गान तुम्हारा
जल में लाली घुलती जाए
और दूर विहगों की टोली
आसमान में पंख फैलाये
गीत मधुर जीवन के गाए
कोई भींगा सा हाथ तभी
मन्दिर की घंटी छू जाए
या गोधूली हो , यमुना तट हो
सूरज पानी पर उतराए
और कृष्ण की बंसी सुनकर
राधा पायल छनकाती आए
कुछ वैसा ही लहर उठा है
जाने ये सुर कहाँ सजा है ?
मैंने पूछा इस वायु से
री पगली तू क्यों इतराई
किसके उच्छ्वास की लहरें
मेरे कानो तक ले आई
वो हँसती आगे चलती थी
पीछे जब मैं उसके आया
देखा यहाँ तुम्ही बैठी हो
अच्छा क्या तुमने गाया ?
सखी आज तुम गाती जाओ
खिल खिल उठा है प्राण हमारा
मंत्रमुग्ध पूरी धरती है
सुनकर दुर्लभ गान तुम्हारा
कि तुम बिन ज़िन्दगी ज़ाया ...!!!!!!!!!!!!
किसी की मुस्कराहट पे दिल यूँ न मचला था कभी
ठहरी नही मेरी नजर देख रखें हैं चेहरे कई
न जानूँ बात क्या तुझमें न जानूँ कौन सा जादू
जो तू सामने मेरे तो मैं बेबाक सा क्यों हूँ
क्या मासूम हैं रुखसार क्या तीखी निगाहें हैं
कमल की पंखुडी छू ली कि छू ली तेरी बाहें हैं
खुदा भी डर रहा था कि नजर न लग जाए तुझको
तभी तो चाँद से चेहरे पे ये काले तिल सजाये हैं
रोका बहुत दिल को मगर ये रुक नही पाया
हर पहरे को तोड़ता हुआ तुझ तक चला आया
बहुत समझा चुका इसको मगर ये कहता है मुझको
अगर तुम मिल नही पाई तो है ये ज़िन्दगी ज़ाया
ठहरी नही मेरी नजर देख रखें हैं चेहरे कई
न जानूँ बात क्या तुझमें न जानूँ कौन सा जादू
जो तू सामने मेरे तो मैं बेबाक सा क्यों हूँ
क्या मासूम हैं रुखसार क्या तीखी निगाहें हैं
कमल की पंखुडी छू ली कि छू ली तेरी बाहें हैं
खुदा भी डर रहा था कि नजर न लग जाए तुझको
तभी तो चाँद से चेहरे पे ये काले तिल सजाये हैं
रोका बहुत दिल को मगर ये रुक नही पाया
हर पहरे को तोड़ता हुआ तुझ तक चला आया
बहुत समझा चुका इसको मगर ये कहता है मुझको
अगर तुम मिल नही पाई तो है ये ज़िन्दगी ज़ाया
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