गुरुवार, 29 अक्तूबर 2015

Mera pyaar jaise be-intehaan hota hai,
dushmani bhi main waisi be-hisaab karta hu

Chupane ka hunar mujhse bahut dur raha,
jo bhi karta hu main wo bin naqaab karta hu

Jo jee mein hota hai wohi jubaan pe rehta hai
lakh log kehte rahe main kharab karta hu

Jamane bhar ka dard dil mein utar jata hai
tabhi baat baat per main inquilaab karta hu

Maikhane ki talab mujhko ab nahi rehti
tumhare gham ko hi main sharab karta hu

Din ko gujarne ka kuch bahana mile
isiliye main ab ye rozgaar karta hu

ki
Subah se jisko manane me pura din nikla
raat ko usko main phir se naraaj karta hu

शुक्रवार, 8 जून 2012

Bahut alfaz daanton se pees dale hain
gham apne maine kuch aise sambhale hain

ab chahu bhi to dikhta nahi ankho se kuch bhi,
itni andekhi hum ta-umr karte aaye hain

teri zafao ke charche bhi jane log ab kuch to
bahut wafa ke tere kisse sab sunte aaye hain 

har ek shaksh dekh mund leta hai aankhein
bada gurur tha humko ki aaftab laye hain

Char din ka tamasha hai zamana ye sara
bekar hi PANDIT tu phir dil ko uljhaye hai

सोमवार, 13 जून 2011

शाम, तन्हाई और कुछ ख्याल............




है तूफ़ान सा सीने में क्यों
सासें मेरी क्यों जल रही
धड़कन पड़ी चुपचाप क्यों
किसकी कमी है ख़ल रही

है क्या चुभन कैसी जलन
क्या ढूंढ़ता आवारा मन
बंजर लगे सब कुछ मुझे
आख़िर कहाँ मेरा चमन

एक जंग सी अन्दर छिड़ी
जाऊँ किधर सूझे नहीं
मंजिले धुधली पड़ी
और रास्तों का पता नहीं

है इश्क़ की मजबूरियाँ ,
और बीच की ये दूरियाँ
अब कुछ सहा जाता नहीं ,
मुझसे रहा जाता नहीं

क्यों ज़िन्दगी इतनी खले
और हल नहीं कुछ पास है
मिली धरती मुझे
पास अब ............आकाश है

खुदा! क्यों छीन लेता
है नहीं सांसें मेरी
हर पल मुझे क्यों मारता
मर्जी बता .......... मुझको तेरी ..........

मुझको बता .........मेरे खुदा ...........
मेरे खुदा ....मुझको बता............
अब तो बता मुझको बता
कुछ तो बता मेरे खुदा ..............

शुक्रवार, 10 जून 2011

श्रीमान श्री दूबे जी के निधन पर ...............

क्या कहूँ .....
शब्दों ने पानी के अलावे और कोई रास्ता लेने से मना कर दिया है,
मगर फिर भी ये कोशिश है
कांपती इन ऊँगलियों से ही
लिखूँ कुछ वेदना मन की
लिखूँ आवाज धड़कन की

मुझे है याद अब तक वो
केश जो मुझको
अक्सर रुई के फाहों से उड़ते बादलों के भाई लगते थे
और वो शक्श जो धोती और कुर्ते में
था लगता ज्ञान का सोता

मुझे है याद की हर कक्षा में मुझे नींद आती थी
मगर वो क्लास बस उनका ही था
जहाँ सब सोते रहते थे
मगर झपकती थी नहीं पलकें मेरी
हाँ सच में .........
मैं जो एक अदना सा बच्चा
क्लास में भी रँक की सम्भावना न थी
उसे उनकी ही कक्षा में रूचि जगी थी

वो आदर्श थे मेरे
गुरुदेव थे मेरे
मेरी प्रेरणा थे वो
नेतरहाट उनके नाम से सार्थक सा था

भले वो देह का कपड़ा
बदल डाला है निश्चित ने
मगर वो तस्वीर उनकी आज भी जब ध्यान धरता हूँ
नया उत्साह आता है
नया विश्वास जगता है

है देवता से प्रार्थना की शांति मिले उनको
जिस पे पूरा हक है उनका
वो परमार्थ हासिल हो ....................

miss you srimaan jee

शुक्रवार, 18 दिसंबर 2009

har aadmi har baat pe naraj dikhta hai
kya kal raha tha wo aur kya aaj dikhta hai

fursat kise baithe zara, ek saans hi lele
har shakhs bebas aur badhawash dikhta hai

hai lagta pak gaya shayad, chalo ab tod late hain
aakash ki tehni pe latka ek chand dikhta hai

jane ki kya pakta hai us chulhe pe aajkal
angithi mein kisi ka sar, kisi ka haath dikhta hai

kaise thi wo hawa ki jo sabko bujha gayi
ab diye bhar mein hi mujhko aag dikhta hai

jo baarud hai bhitar, use ab aag laga de
chalo 'Pandit' usi taraf jahan chirag dikhta hai

रविवार, 26 अप्रैल 2009

अपनी ऊँगली को होंठों पर देखो तुम यू फेरा न करो ..!!!!!!111

अपनी ऊँगली को होंठों पर देखो तुम यू फेरा न करो
कभी देख ये धड़कन थमती है , कभी साँस मेरी रुक जाती है

सारी दुनिया दुश्मन मेरी भागा फिरता हूँ जान लिए
अब तुम भी मेरी जान की दुश्मन दुनिया की तरह न बन जाओ

अपनी ऊँगली को होंठों पर देखो तुम यू फेरा करो .!!!!!!!!

ये मेरा हाल जैसा है क्या तेरा हाल वैसा है...!!!!!!!!!!!

कभी ये सोचता हूँ मैं कि तेरा हाल कैसा है
तेरी जुल्फों के काले बादलों का जाल कैसा है
मैं रोकर मुस्कुराता हूँ और ये गुनगुनाता हूँ
ये मेरा साल जैसा है क्या तेरा साल वैसा है

तुझे देखे जभी नज़रे बड़ी ये मुस्कुराती हैं
मेरे पलकों के पर्दों पर तू पूरी रात आती है
मैं पूरी रात अक्सर जाग आँखें बंद रखता हूँ
जो इनको खोल देता हूँ तू मुझसे रूठ जाती है

मेरे दिल में तेरी याद अक्सर जाग जाती है
तेरी यादें कई चिंगारियाँ दिल में जलाती हैं
मेरी चलती हुई साँसों से फिर अग्नि भड़कती है
बड़ा आँसू बहाता हूँ मगर ये बुझ न पाती है

कभी ये सोचता हूँ मैं कि तेरा हाल कैसा है
तेरी जुल्फों के काले बादलों का जाल कैसा है
मैं रोकर मुस्कुराता हूँ और ये गुनगुनाता हूँ
ये मेरा हाल जैसा है क्या तेरा हाल वैसा है ....!!!!!!!!!!