मेरे हमदम मुझे तू माफ़ करदे दूर हूँ तुझसे
मेरी जिंदगी को घेरे हैं बदल बहुत काले
कभी एक ख्वाब सा था कुछ कई रंगीन बातें थी
समय के थापर खा जाने कहाँ गिरा डालें
मैं हूँ पत्ता एक सूखा सा गिरा हूँ पेड़ से अपने
न जाने कब कोई आकर के अब मुझको जला डाले
कि देख मौत मेरी वो खड़ी अब मांगती मुझको
तू चाहे रोक ले मुझको जो चाहे छोड़ भी डाले
जहाँ भी जा रहा हूँ बंद हर दरवाजा है मुझपर
न जाने कौन सी चाभी से खुलते ये सभी ताले
मेरा माजी, मेरा किस्सा न कोई पूछना मुझसे
भरा है दर्द से इतना , कि न धरती डूबा डाले
मैं सदमे में हूँ थोड़ा मुझे खामोश रहने दे
मेरी आवाज आज न कहीं तुझको रुला डाले
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3 टिप्पणियां:
"shayad unhe aankhon ki jubaan padana nahi aata"
great thoughts....keep going
thanx :)
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