गुरुवार, 2 अप्रैल 2009

आज ज़रा रोने दो मुझको ....!!!!!!!!

आज भरो बाहों में मुझको
आज जरा सोने दो मुझको
बर्फ बहुत जम गया है भीतर
आज जरा रोने दो मुझको

सब कुछ तो खोकर बैठा हूँ
ख़ुद को खो लेने दो मुझको
सिसक सिसक पड़ा रहने दो
घर के किसी कोने में मुझको

नींदों में सपनो में अपने
कुछ देर तो खुश होने दो मुझको
आज भरो बाहों में मुझको
आज जरा सोने दो मुझको
बर्फ बहुत जम गया है भीतर
आज जरा रोने दो मुझको

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