कभी ये सोचता हूँ मैं कि तेरा हाल कैसा है
तेरी जुल्फों के काले बादलों का जाल कैसा है
मैं रोकर मुस्कुराता हूँ और ये गुनगुनाता हूँ
ये मेरा साल जैसा है क्या तेरा साल वैसा है
तुझे देखे जभी नज़रे बड़ी ये मुस्कुराती हैं
मेरे पलकों के पर्दों पर तू पूरी रात आती है
मैं पूरी रात अक्सर जाग आँखें बंद रखता हूँ
जो इनको खोल देता हूँ तू मुझसे रूठ जाती है
मेरे दिल में तेरी याद अक्सर जाग जाती है
तेरी यादें कई चिंगारियाँ दिल में जलाती हैं
मेरी चलती हुई साँसों से फिर अग्नि भड़कती है
बड़ा आँसू बहाता हूँ मगर ये बुझ न पाती है
कभी ये सोचता हूँ मैं कि तेरा हाल कैसा है
तेरी जुल्फों के काले बादलों का जाल कैसा है
मैं रोकर मुस्कुराता हूँ और ये गुनगुनाता हूँ
ये मेरा हाल जैसा है क्या तेरा हाल वैसा है ....!!!!!!!!!!
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nice 1
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